मूली (राफ़ैनस सतिवस) एक जमीनी जड़ वाली सब्ज़ी है, जो सफेद या लाल रंग में उपलब्ध होती है, लेकिन दोनों के पत्ते हरे ही होते हैं। इसका रस, बीज, पत्ते, पत्तियों का रस, पत्तेदार भाग और यहाँ तक कि तेल भी, पारंपरिक भारतीय प्रणाली में अनेक स्वास्थ्य समस्याओं के समाधान के लिए उपयोग में लाया जाता रहा है। इसकी ठंडी तासीर होने के कारण मूली को कई बीमारियों में रामबाण माना गया है—जिनमें वे रोग शामिल हैं, जो आधुनिक दवाओं से ठीक नहीं हो पाते।
1. पेट दर्द ख़त्म हो, क्योंकि प्रदाह मिटे
पेट दर्द (उदरशूल) या गैस की समस्या मूली के रस के सेवन से दूर होती है। उदाहरण स्वरूप:
एक गिलास मूली के रस में नींबू, काला नमक, काली मिर्च डालकर दिन में चार बार सेवन से पेट दर्द में राहत मिलती है।
गैस/ब्लोटिंग में मूली के बीज का प्रयोग बहुत कारगर है:
मूली के बीजों को पीसकर नींबू, काला नमक, काली मिर्च, सोंठ, अजवायन मिलाएं, छानकर दिन में 2–3 बार चार दिन तक लें। इससे पेट दर्द व गैस संबंधी तकलीफ دور होती है।
2. बवासीर (पाइल्स) – राहत और रक्तस्त्राव बंद करें
बवासीर की समस्या के लिए मूली बेहद उपयोगी है, इसमें विशेषकर पके और कच्चे रूपों का दोहरा लाभ है:
कच्ची मूली दिन में 2–3 बार खाने से रक्तस्त्राव बंद करने में मदद मिलती है।
मूली का रस: एक कप रस में एक चम्मच देशी घी मिलाकर सुबह‑शाम सेवन से हर प्रकार के पाइल्स में आराम मिलता है।
रात्रि ओस में रखा नमक‑लागू मूली का प्रयोग: रात को नमक लगाकर बाहर रखी मूली सुबह खाने से बवासीर की समस्या दूर होती है—यह कोर्स आमतौर पर 20 दिनों का होता है।
वैज्ञानिक साक्ष्य:
Radish juice is a common remedy for piles; half‑cup twice daily सूखे पाइल्स में सुधार में कारगर माना जाता है ।
मूली
3. पथरी (Kidney & Bladder Stones) – प्राकृतिक उपचार
मूली के औषधीय प्रयोग पटोरी के उपचार में पुराने समय से प्रयुक्त हैं।
विधियाँ:
बीज + पानी: 35 ग्राम मूली के बीज को 1.4 लीटर पानी में उबलकर आधा कर लें, छानकर पिसा बीज पानी में मिलाकर दिन में 15–20 दिन तक लें—स्थूल पत्थर गलते हुए पेशाब से बाहर निकलते हैं।
शाखों का रस: 100 ग्राम शाखाओं का रस दिन में 3 बार लेने से पथरी छोटे-टुकड़ों में टूटकर निकल जाती है।
पत्तों का रस + अजमोद: 10 ग्राम पत्तों के रस में 3 ग्राम अजमोद मिलाकर दिन में तीन बार सेवन से पथरी गल कर बाहर निकलती है।
मूली में शलगम के बीज: मूली में छेद करके उसमें शलगम के बीज भरें, आटे में लपेटकर भूमल में सेंक लें और फिर आटा खा लें; इससे पथरी टुकड़ों में टूट कर निकलती है।
बीज चूर्ण: 1–6 ग्राम मूली के बीज दिन में 3–4 बार लेने से मूत्राशय की पथरी गल जाती है।
रस + पत्ते चबाना: 20 ग्राम मूली का रस हर 4 घंटे पर 3 बार तथा साथ में पत्ते चबाने से यह दो‑तीन महीने तक काम करता है।
वैज्ञानिक साक्ष्य:
मूली खाने से किडनी में कैल्शियम‑ऑक्सलेट क्रिस्टल का उत्सर्जन बढ़ता है—यह अध्ययन नेपाल में 2004 में हुआ था, जिसमें मूली का सेवन करने वालों की मूत्र में क्रिस्टल वृद्धि देखी गई ।
Cruciferous vegetables like radish help prevent kidney stones and act as natural diuretics (brownhealth.org)।
4. पेशाब रूकना + जलन (Dysuria)
आधा गिलास मूली का रस पिलाने से पेशाब में जलन और दर्द में राहत मिलती है। मूली में मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो यह समस्या कम करते हैं।
5. दस्त (Diarrhea)
कोमल मूली (40–60 ग्राम) का काढ़ा बनाएं और उसमें 1–2 ग्राम पिपर (काली मिर्च?) का चूर्ण मिलाकर देने से डायरिया में लाभ होता है।
6. यकृत (लिवर) और अंतड़ियाँ
मूली का रस पीलिया (जौंडिस) तथा लीवर ऑर्गन के रोगों, जैसे फैटी लिवर आदि में उपयोगी मानी जाती है।
उपयोग विधि: कच्ची मूली 4 भागों में काटकर नींबू‑नमक‑काली मिर्च छिड़क कर सुबह खाली पेट खाने से पीलिया ठीक माना गया है।
पत्तों का रस + मिश्री: 200 ग्राम रस + 50 ग्राम मिश्री सुबह‑शाम 15 दिन तक सेवन से भी लाभ होता है।
वैज्ञानिक दृष्टिकोण:
मूली में एंटीऑक्सिडेंट और डिटॉक्स गुण होते हैं; आयुर्वेद भी इनके उपयोग की सिफारिश करता है ।
7. कान दर्द (Earache)
मूली के रस को तिल के तेल में गर्म करके कान में 2–2 बूंद डालने से दर्द में आराम मिलता है—यह पारंपरिक घरेलू इलाज है।
8. सूजन (Inflammation)
1 ग्राम से 2 ग्राम मूली के बीज + 5 ग्राम तिल (सिज़िल झाल) रोज 2–3 बार लेने पर सभी प्रकार की सूजन कम होती है।
9. लकवा (Paralysis)
मूली का तेल 20–40 मिलीलीटर दिन में तीन बार लेने से लकवे में लाभ होता है—यह पुरातन इलाज है।
10. त्वचा कोमोहर तथा दाद‑फोड़े
दाद (Ringworm) में मूली के बीजों को नींबू के रस में पीसकर लगाने से लाभ होता है।
11. मासिक धर्म से सम्बंधित तकलीफ़
दर्द तथा अनियमितता में मूली बीज का चूर्ण
एक छोटा चम्मच बीज का चूर्ण ठंडे पानी के साथ दिन में 4 बार लेने से मासिक धर्म नियमित और दर्दमुक्त हो जाता है।
मासिक धर्म का रुक जाना
मूली, सोया, मेथी, गाजर के बीज बराबर मात्रा मिलाकर चूर्ण बनाएं; एक चम्मच पानी के साथ दिन में 4 बार लेने पर मासिक धर्म खुलता है।
विज्ञान और आधुनिक निष्कर्ष
नेपाल स्थित अध्ययन में मूली के सेवन से किडनी में कैल्शियम-ऑक्सलेट क्रिस्टल उत्पन्न बढ़ने की जानकारी मिली, जो पथरी संबंधी उपयोग के परिप्रेक्ष्य में महत्वपूर्ण है ।
मूली जैसी क्रुसीफेरस सब्ज़ियाँ (जैसे ब्रोकली, गोभी इत्यादि) में मूत्रवर्धक गुण होते हैं, जो किडनी स्टोन्स रोकने में सहायक हैं ।
घरेलू और आयुर्वेदिक सूत्र भी पाइल्स, पथरी, पीलिया, लिवर रोग, और गैसजनित तकलीफ़ों में मूली के उपयोग को पुष्ट करते हैं ।
मूली
महत्वपूर्ण चिकित्सा नोट्स
डॉक्टर से परामर्श: चाहे घरेलू परंपरा हो या आयुर्वेदिक उपाय, किसी गंभीर चिकित्सीय समस्या जैसे किडनी स्टोन, पाइल्स, लिवर रोग आदि का इलाज डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
संभावित प्रतिक्रिया: मूली खाने से पथरी संबंधी क्रिस्टल का उत्क्रमण बढ़ सकता है।
लंबे अवधि प्रयोग: अधिक मात्रा या लंबे समय तक प्रयोग से कुछ मामलों में जलन, दस्त या एलर्जी हो सकती है।
गर्भावस्था और दवा अंतःक्रिया: गर्भावस्था, स्तनपान या किसी अन्य चिकित्सीय दवा जैसे डाइबिटीज, हार्ट मेडिकेशन आदि के मेल में इन उपायों का प्रयोग डॉक्टर की सलाह के बिना न करें।
निष्कर्ष
मूली—साधारण सब्ज़ी की तरह दिखने वाले इस जड़ों वाली सब्ज़ी—में कई औषधीय गुण मौजूद हैं। इसकी ठंडी तासीर, मूत्रवर्धक और प्रतिप्रदाहशमन गुण, गैस, पथरी, पीलिया, पाइल्स, दस्त, सूजन और अन्य कई पारदर्शी स्वास्थ्य समस्याओं पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं।
हालाँकि आधुनिक मेडिकल अनुसंधाानों से कुछ उपचारों में मूली की उपयोगिता के वैज्ञानिक प्रमाण मिले हैं, लेकिन इसका उपयोग हमेशा सावधानीपूर्वक और डॉक्टरी निगरानी में ही करें।
इस reformatted लेख में पारंपरिक नुस्खों को आधुनिक संदर्भ और वैज्ञानिक दृष्टिकोण से प्रस्तुत किया गया है, ताकि आप इसे समझदारी से, सुरक्षित रूप से और लाभदायक तरीके से अपना सकें।
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