अनार (Pomegranate) खाने के अनोखे फायदे सून कर दंग रह जाएंगे आप.


अनार

फलों द्वारा रोगों का इलाज (अनार )

अनार

वह क्या कहावत है “एक अनार सौ बीमार”

इस कहावत का भावार्थ यह है कि- “बीमार लोगों के लिए अनार इतना लाभदायक है कि बीमारियाँ तो अनेक हैं, परन्तु इलाज एक ही है।” अनार का फल विभिन्न रोगों में अत्यन्त लाभकारी सिद्ध होता है। विशेष
रूप से हृदय रोगियों के लिए अनार बहुत ही फायदेमन्द है । यदि हम यह कहें कि अनार हमारे लिए किसी अमृतफल से कम नहीं तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। अनार रोगियों की चिकित्सा के लिए बहुत उपयोगी माना जाता है।


अनार से नक्सीर की अक्सीर दवा- अनार की कली, जो निकलती हुई हवा के झोकों से नीचे गिर जाती है, इनका रस १-२ बूंद नाक में टपकाने से या सुंघाने से नाक से खून बहना बंद हो जाता है।


पेट का दर्द (अनार)

  1. अनार के दाने निकाल कर उन पर पिसी हुई काली मिर्च, काला नमक डालकर पेट दर्द रोगी को सेवन करवा दें पेट के दर्द में राहत मिलेगी।
  2. अनार का रस निकालकर उसमें नमक और काली मिर्च डालकर 50-50 ग्राम दिन में चार बार देने से लाभ होगा।

स्वप्न दोस (अनार) युवा पीढ़ी पर इसका असर अधिक परता हैं. कुछ लोग तो इस रोग के कारण घबराकर बाजारी विज्ञापन छाप डॉक्टरों के पास जाकर खूब धन लुटाते हैं। ऐसे रोगियों को मैं रोगी नहीं कहता। जवानी की आयु में ऐसा हो जाता है, परन्तु इसका उपचार करना कोई बुरी बात नहीं। ऐसे रोगियों को सुबह निहार मुँह अनार का छिलका पीसकर उसे बारीक छलनी अथवा कपड़े से छानकर ५ ग्राम, ठंडे पानी के साथ सुबह शाम सेवन करें तो इससे स्वप्न रोग पर काबू पाया जा सकता है।


पेट रोग (अनार)

अनार का रस अथवा अनार के दाने सुबह निहार मुँह सेवन करने से पेट के हर प्रकार के रोग ठीक हो जाते हैं। भूख खूब लगती है, जिगर की सारी खराबियाँ दूर हो जाती हैं।


अनिद्रा (अनार)- ताजे पत्ते 20 ग्राम लेकर 500 ग्राम पानी में उबालें, जब 100 ग्राम शेष रह जाये तो इसमें गरम दूध मिलाकर पीयें। इससे शारीरिक व मानसिक थकावट मिटती है. जिससे नींद अच्छी आती है। अनिद्रा की बीमारी में लाभ होता है।
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आँखों के रोग (अनार)-

अनार के 1-10 ताजे पत्तों का रस खरल में डालकर शुष्क न हो जाने पर कपड़े में छानकर, रख दें, प्रातः सायं सलाई द्वारा लगायें, इससे खुजली, नेत्रस्राव, पलकों की खराबी, कुकरे आदि रोग दूर होते हैं।
अनार के 6-7 पत्रों को पानी में पीस दिन में २ बार लेप करने तथा पत्तों को पानी में भिगोकर बतौर पोटली आंखों पर फेरने से दुखती आंखों में लाभ होता है।


कानों का बहरापन (अनार)- पत्तों के रस में समभाग बेल पत्र स्वरस और गाय का घी मिलाकर घी सिद्ध कर लें। 20 ग्राम घी गरम 250 ग्राम मिश्री मिले दूध के साथ प्रातः सायं देने से बहरापन में लाभ होता है।


पेचिश (दस्त) – एक साबुत अनार लेकर उस पर मिट्टी का लेप कर लें। लेप सूख जाने पर उसे आग पर भून लें। भून लेने के पश्चात उसे ठंडा कर के उसके अन्दर से दाने निकाल लें। उन दानों को शहद में मिलाकर दस्त के रोगी को दिन में चार-पाँच बार देने से ही दस्त रोग ठीक हो जाता है। भुने हुए अनार के दानों का रस निकाल कर शहद में मिलाकर रोगी को दे सकते हैं।

अधिक रक्त स्राव – नारी वर्ग के लिए यह रोग बहुत बुरा वह जवानी में ही बूढ़ी नजर आती है। अनार के छिलकों को अच्छी तरह से सुखाकर पीस लें और उन्हें बारीक छलनी अथवा कपड़े से छानकर एक-एक चम्मच रोगी को दिन में तीन बार सेवन करवाएँ तो कुछ दिनों में ही रोग से मुक्ति मिल जाएगी।


मुंह के छाले – इसके 25 ग्राम पत्तों को 500 ग्राम पानी में औटाकर चतुर्थांश शेष काढ़ा से कुल्ले करने से मुँह के छाले आदि मुख रोग दूर होते हैं।


बार-बार पेशाब आना-अनार के छिलके का चूर्ण ५ ग्राम सुबह-शाम दिन में दो बार ठंडे पानी से सेवन करने से बार-बार का पेशाब आना रुक जाता है।


सिर दर्द पर- छाल को घिसकर कपाल पर लेप करें, इससे शिरःशूल आधाशीशी में सद्यः लाभ होता है।


गर्भ स्राव – गर्भ स्राव की रोगी नारियों के लिए 250 ग्राम अनार के ताज़े पत्ते पीसकर उनका रस निकाल लें, फिर उसमें थोड़ी सी मिश्री मिलाकर ऐसी औरतों को सुबह निहार मुँह तथा दिन में दो बार पिलाते रहें। कुछ ही दिनों में रोग में कमी आनी शुरू हो जाएगी। एक मास के सेवन से तो पूर्ण आराम होगा।


परहेज़ – इस रोग से ग्रस्त नारियों को गर्म तासीर वाली सब चीजों का सेवन बन्द करना होगा। मीट, मछली, गर्म मसाले, लहसुन तथा अन्य गर्म वस्तुएँ जैसे गर्म दूध, चाय, कॉफी, अंडा इनका सेवन भी कम करें तो शीघ्र लाभ होगा।


हिस्टीरिया (बेहोशी) के दौरे- 20 ग्राम अनार के ताजे कोमल पत्ते, 20 ग्राम गुलाब के ताज़ा फूल इन दोनों को लेकर 600 ग्राम पानी में उबाल लें। जब पानी उबलते हुए 200 ग्राम के करीब रह जाए तो उसे नीचे उतारकर ठंडा करके छान लें। इसमें एक चम्मच देसी घी मिलाकर रोगी को दिन में तीन बार पिलाते रहने से थोड़े दिनों में ही रोग से मुक्ति मिल जाएगी।


खाँसी- इश्के के छिलके को मुंह में रखकर चूसने से भी खांसी में लाभ होता है।
इसका का छिलका 50 ग्राम, पीपल और जवाखार 6-6 ग्राम, 10 ग्राम कालीमिर्च तथा गुड़ 80 म की चाशनी बनाकर उसमें सबका महीन चूर्ण मिलाकर 500 मिलीग्राम की गोली बनाकर 2-2 गोली दिन में 3 बार गर्म जल से सेवन करें। इसमें काली मिर्च 10 ग्राम मिला लेने से और भी उत्तम लाभ होता है।

मुँह की बदबू से निजात- मीठे अनार के छिलकों को धूप सुखाकर उन्हें कूटकर, पीसकर छान लें। फिर एक-एक चम्मच ठंडे पानी के साथ सुबह-शाम सेवन करने से कुछ दिनों में मुँह से आने वाली गंध दूर हो जाएगी। इससे दाँतों के रोग भी ठीक हो जाएँगे।
अजीर्ण अरूचि-उत्तम पके हुए अनार का रस १ गिलास, 1/4 चम्मच भुना हुआ जीरा के समभाग गुड़ मिलाकर दिन में २ या तीन बार पीने से किसी भी प्रकार का अजीर्ण शीघ्र नष्ट होता है।

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